अधिगम ,अधिगम के सिद्धांत व परिभाषा
अधिगम का अर्थ सीखना,अर्जित करना व ग्रहण करने से लिया जाता है! अधिगम व्यवहार में होने वाले परिवर्तन की एक प्रक्रिया है ! व्यवहार उद्दीपन तथा अनुक्रिया के द्वारा नियंत्रित किया जाता है इन्हीं के द्वारा संचालित भी होता है अधिगम औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही परिस्थितियों में होता है
ज्ञानात्मक,भावात्मक और क्रियात्मक अधिगम के 3 पहलू पाए जाते हैं
अधिगम की परिभाषा~
स्किनर के अनुसार | सीखना उत्तरोत्तर व्यवहार में सामंजस्य की प्रक्रिया है |
वुडवर्थ के अनुसार | नवीन ज्ञान व नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिगम कहलाती है। |
क्रो एंड क्रो के अनुसार | सीखना आदत ज्ञान और अभिवृत्तियों को प्राप्त करने की प्रक्रिया ही अधिगम है। |
गिलफोर्ड के अनुसार | व्यवहार के कारण भवन में होने वाला परिवर्तन ही अधिगम कहलाता है |
पावलव के अनुसार | अनुकूलित अनुक्रिया के परिणाम स्वरुप आदत का निर्माण ही अधिगम कहलाता है |
गेट्स व अन्य के अनुसार | अनुभव व प्रशिक्षण के द्वारा बालक के व्यवहार में होने वाला परिवर्तन अधिगम कहलाता है |
- अधिगम की विशेषताएं सिंपसन के अनुसार
- अधिगम जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है
- अधिगम सभी जगह पर सदैव चलता रहता है
- यह अनुकूलन की प्रक्रिया है
- अधिगम वातावरण पर भी आधारित होता है
- अधिगम व्यक्तिगत व सामाजिक दोनों प्रकार से होता है
- अधिगम के द्वारा बुद्धि में विकास होता है
- अधिगम व्यवहार में परिवर्तन की प्रक्रिया है।
- अधिगम अनुभवों का संगठन है
- अधिगम उद्देश्य पूर्ण होता है
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
मनोवैज्ञानिक कारण
प्रेरक या प्रेरणा प्रेरक आंतरिक शक्ति होती है जो व्यक्ति को क्रिया करने के लिए बाध्य करती है आंतरिक प्रेरणा से कार्य को उत्साह व सक्रियता से किया जा सकता है शिक्षक बालकों को प्रशंसा, प्रोत्साहन, पुरस्कार आदि के द्वारा सीखने के लिए प्रेरित कर सकता है रुचि और रुझान किसी भी कार्य को करने के लिए बच्चे का कार्य में रूचि का होना अति आवश्यक है बुद्धिशारिरिक व मानसिक स्वास्थ्य सीखने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है प्रत्यक्षीकरण के द्वारा सीखा हुआ ज्ञान की स्थाई रहता है परिपक्वता ~शारीरिक व मानसिक दृष्टि से परिपक्व छात्र नई विषय वस्तु को सीखने के लिए सदैव तत्पर व उत्सुक रहता है और परिपक्वता के कारण वह शीघ्र गति से सीख भी लेता है। सीखने की विधि ~सीखने की विधि जितनी रुचिकर होती है सीखना उतना ही आसान रहता है इसलिए प्रारंभिक कक्षाओं में खेल पद्धति और करके सीखने पर अधिक बल दिया जाता है अभ्यास~किसी भी कार्य को बार-बार करने से गलतियां कम होती हैं और सीखा हुआ ज्ञान स्थाई रहता है शिक्षक व सीखने की प्रक्रिया ~सिखाने की प्रक्रिया में शिक्षक का स्थान महत्वपूर्ण है शिक्षक एक पथ प्रदर्शक की भूमिका का कार्य करता है
परिणाम का ज्ञान~सीखने के दौरान यदि छात्रों को परिणाम का ज्ञान ज्ञात हो तो सीखने वाले में उत्साह बना रहता है और सीखने के लिए प्रेरणा प्राप्त होती है
सीखने के नियम
सीखने के नियमो का प्रतिपादन एडवर्ड Lee thorndike के द्वारा दिया गया
सीखने के नियमो को दो मुख्य भागो में बाँटा गया
मुख्य नियम
1 तत्परता का नियम
2 अभ्यास का नियम
3 प्रभाव का नियम
गौण नियम
1 बहु प्रतिक्रिया का नियम
2 आंशिक क्रिया का नियम
3 आत्मीकरण का नियम
4 मनोवृति का नियम
5 साहचर्य परिवर्तन का नियम
तत्परता का नियम थोर्नडाइक के इस नियम के अनुसार सीखने के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी होता है जब तक वह मानसिक रूप से तैयार नहीं होता वह कुछ भी नहीं सीख सकता अर्थात सीखने के लिए तत्परता का होना अति आवश्यक है
उदाहरण ~ घोड़े को पानी पीने के लिए तालाब तक ले जाया जा सकता है परंतु पानी पीने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। बीड़ी भाटिया के अनुसार किसी भी कार्य को करने के लिए तत्पर या तैयार होना आधे युद्ध जीतने के बराबर है
अभ्यास का नियम इस नियम के अनुसार ज्ञान को बनाए रखने के लिए अभ्यास जरूरी होता है किसी भी कार्य को बार-बार दोहराने से वह कार्य स्थाई हो जाता है और एक आदत का रूप धारण कर लेता है।
अभ्यास के नियम को दो भागों में बांटा गया है
उपयोग का नियम और अनुपयोग का नियम
उपयोग के नियम के अनुसार ~ जो कार्य उपयोग में आता रहता है वह कार्य स्थायित्व को प्राप्त कर लेता है और उसे जल्दी से पूर्ण भी किया जा सकता है
अनुपयोग के नियम के अनुसार~ जिस कार्य को हम काफी दिन तक नही करते है उसे भूल जाते हैं
शैक्षिक महत्व
- उच्चारण सुधारने हेतु
- छात्रों के लेखन सुधार हेतु
- आदतो के निर्माण हेतु।
- इस नियम के अंतर्गत एक रहीम का दोहा प्रचलित है
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान
प्रेक्टिस मेक ए मन परफेक्ट
प्रभाव का नियम इस नियम को संतोष संतोष का नियम,सुख-दुख का नियम,पुरस्कार व दंड का नियम व परिणाम का नियम आदि नामों से भी जाना जाता है इस नियम के अनुसार हम उस कार्य को जल्दी सीखना व करना चाहते हैं जिसका परिणाम हमारे लिए सुखद या सकारात्मक होता है जिससे हमें संतोष की प्राप्ति होती है।
- शैक्षिक महत्व
- अच्छी आदतों के निर्माण में सहायक है
- बुरी आदतों के छुड़ाने के लिए
- अपराधी बालकों को उपचार में सहायक
गौण नियम
बहुप्रतिक्रिया का नियम~ इस नियम के अनुसार बालकों को नवीन ज्ञान एक से अधिक विधियों का प्रयोग करके सिखाना चाहिए अर्थात बहू प्रतिक्रियाओं के द्वारा किसी भी कार्य को करने से वह कार्य सहज रूप से व रुचिकर तरीके से किया जा सकता है
आंशिक क्रिया का नियम~यह नियम अंश से पूर्ण ओर शिक्षण सूत्र पर आधारित है जो कि गेस्टाल्ट वादी संप्रदाय के द्वारा दिए गए सिद्धांत पर आधारित है
तादात्तमीकरण का नियम~इसके अनुसार किसी व्यक्ति के द्वारा नवीन ज्ञान को सीखना अनुकरण के द्वारा होता है अर्थात जैसे कोई व्यक्ति करता है उसी के अनुरूप ही किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा कार्य किया जाना तादात्तमीकरण कहलाता है
अभिवृत्ति का नियम~यह नियम तत्परता के नियम पर आधारित है
साहचर्य परिवर्तन नियम~नवीन ज्ञान को पूर्व ज्ञान से संबंधित करके सीखना या एक परिस्थिति में सीखा हुआ ज्ञान दूसरी परिस्थिति में प्रयोग किया जाना साहचर्य परिवर्तन का नियम कहलाता है
अधिगम के सिद्धांत
अधिगम के सिद्धांतों को दो मुख्य भागों में बांटा गया है
1 साहचर्य अधिगम का सिद्धांत 2 संज्ञानात्मक अधिगम का सिद्धांत
अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत 1904 इस के प्रतिपादक आईपी पावलव है जो कि एक रूस के शरीर शास्त्री थे। एक मेडिकल अकादमी में शल्य चिकित्सा में प्रोफ़ेसर पद पर थे शिक्षा मनोविज्ञान के जगत में इन्हें नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया
पावलव ने इस सिद्धांत का परीक्षण कुत्ते पर किया कुत्ते को प्रतिदिन एक निश्चित समय पर भोजन दिया जाता भोजन को देखते ही कुत्ता लार टपकाने लगता कुछ प्रयासों के बाद भोजन स्वभाविक उत्तेजक देने से पहले घंटी बजाई जाने लगी इसके फल स्वरुप कुत्ते के मुंह से लार टपकने की स्वभाविक प्रतिक्रिया होने लगी। भोजन देकर लार टपकाने की स्वभाविक प्रतिक्रिया को घंटी बजने की अस्वभाविक उत्तेजक से संबंध स्थापित कर दिया और घंटी ओर कुत्ते की लार दोनों के संबंध स्थापित हो जाने के कारण लार टपकाने की क्रिया करने लगा इसके पश्चात केवल घंटी बज गई घंटी की आवाज से ही कुत्ते की लार टपकने लगी अर्थात घण्टी आस्वभाविक प्रतिक्रिया लार आना का संबंध स्थापित हो गया
उपनाम
- परंपरागत या प्राचीन शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत अनुबंधन का सिद्धांत
- अनुबंधित अनुक्रिया का सिद्धांत
- संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
- S R थ्योरी ऑफ़ लर्निंग
- पावलव ने प्रयोग एक कुत्ते पर किया इसस सिद्धान्त में दो प्रकार के उद्दीपन को काम में लिया
- स्वाभाविक उद्दीपक भोजन और
- अस्वाभाविक उद्दीपन घंटी
अनुकूलित अनुक्रिया के अंतर्गत पहले स्वाभाविक उद्दीपक भोजन प्रदान किया जाता है जिसके फलस्वरूप कुत्ते के द्वारा लार अनुक्रिया स्थापित की जाती है
अनुकूलित अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक उद्दीपक का प्रभाव उद्दीपन की पुनरावृति स्वाभाविक उद्दीपक का विलोप ध्यान बांटने वाले उद्दीपन
विलोप का अर्थ अनुबंधन स्थापित होने के बाद यदि बार-बार अनुबंधित या अस्वाभाविक उद्दीपन घंटी प्रस्तुत की जाए तो अनुबंधित अनुक्रिया का बंद हो जाना विलोपन कहलाता है
अनुबंधन का अर्थ बार-बार पुनरावृत्ति के कारण जो संबंध स्थापित होता है उसे अनुबंधन कहा जाता है जिस प्रकार पावलव के सिद्धांत में भोजन के साथ में घंटी प्रस्तुत की गई तो कुत्ते का घंटी के साथ अनुबंधन स्थापित हो गया
- शैक्षिक महत्व
- शिक्षण में श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग इसी सिद्धांत पर आधारित है
- यह सिद्धांत पुनरावृति पर बल देता है शिक्षक को विषय वस्तु की पुनरावृति करनी चाहिए
- अनुशासन स्थापित करने के लिए दंड और पुरस्कार के सिद्धांत इसी विधि पर आधारित है
- मनोवृति के विकास में सहायक
- पशुओं के प्रशिक्षण में सहायक
- अक्षर व शब्दार्थ सुलेख अक्षर विन्यास सिखाने में सहायक
- भाषाई विकास के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण
- बुरी आदतों को छुड़ाने में सहायक
- यांत्रिक तरीके से सीखने पर बल
- अच्छी आदतों के निर्माण में उपयोगी