बुद्धि लब्धि,बुद्धि लब्धि की परिभाषा
प्यारे दोस्तों नमस्कार,
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से शेयर कर रहे है बुद्धि लब्धि,बुद्धि लब्धि की परिभाषा इसकी विशेषताओं के बारे में जेसा की आप सभी को पता ही होगा की शिक्षक भर्ती में हर बार एक से दो प्रश्न बुद्धि टोपिक से पूछे जाते है इसी को ध्यान में रखते हुवे इस पोस्ट को सावधानी से आप सभी की सहायतार्थ बनाया गया है उम्मीद करते है दोस्तों ये पोस्ट आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी
बुद्धि लब्धि का संबंध बुद्धि की योग्यता से हैं व्यक्ति कितना बुद्धिमान है इसकी जानकारी हमें उसकी बुद्धि लब्धि के द्वारा ही मिलती है
आयु मुख्यतः दो प्रकार की होती है
- मानसिक आयु और
- वास्तविक आयु
मानसिक आयु ⇒ मानसिक आयु का संप्रत्य सर्वप्रथम अल्फ्रेड बिंने के द्वारा 1904 में दिया गया बिंने के अनुसार कोई बालक अपनी वास्तविक उम्र से कम या अधिक आयु के बालक के समान व्यवहार का प्रदर्शन करें तो वह उसकी मानसिक आयु कहलाती है
जैसे 3 वर्ष का बालक 5 वर्ष के बालक के क्षमा व्यवहार का प्रदर्शन करता है तो उसकी मानसिक आयु 5 वर्ष मानी जाएगी
वास्तविक आयु/ शारीरिक आयु/ बेसल वर्ष⇒ जन्म से लेकर परीक्षण के दिन तक की वह आयु जो वर्ष महीने और दिनों में निर्धारित की जाती है
एक बालक की वास्तविक आयु 5 वर्ष है वह 6 और 7 वर्ष के स्तर के प्रश्नों को हल कर ले देता है परंतु 8 वर्ष के प्रश्नों को नहीं कर पाता तो 7 वर्ष की आयु आधार आयु तथा 8 वर्ष की आयु को टर्मिनल वर्ष माना जाएगा
बुद्धि लब्धि ⇒ बुद्धि लब्धि का संप्रत्यय 1912 में स्टर्न के द्वारा दिया गया
अन्य समर्थक⇒ बिंने,टर्मन,कुहलमान
स्टर्न ने बुद्धि लब्धि मापने हेतु सिद्धांत दिया
मानसिक आयु÷वास्तविक आयु
स्टर्न ने अपने सिद्धांत में एक को आधार माना यदि बुद्धि लब्धि का मान 1 हो तो सामान जैसे 10÷10 = एक और यदि एक से अधिक आए तो प्रतिभाशाली 12 ÷ 10 = 1∙2 तथा एक से कम आए तो मंदबुद्धि 9 ÷10 =∙9 होता है
डॉक्टर कामथ ने पिछड़े बालक की बुद्धि लब्धि 80 से 90 के मध्य बताई है यूनेस्को के अनुसार श्रमिकों की बुद्धि लब्धि 70 से 80 के मध्य होती है
नोट⇒ 1916 में ट्रमन ने स्टर्न के सिद्धांत को सूत्र के रूप में बदला
टरमन के द्वारा निर्मित,रोस के द्वारा संशोधित
- प्रतिभाशाली बुद्धि 140 +
- अति श्रेष्ठ बुद्धि 120 से 140
- श्रेष्ठ बुद्धि 110 से 120
- सामान्य बुद्धि 90 से 14
- मंदबुद्धि 80 से 90
- निर्बल बुद्धि 70 से 80
- अल्प बुद्धि 50 से 70
- मूर्ख बुद्धि 25 से 50
- जड़ बुद्धि 0 से 25
IQ = M.A.÷C.A.×100
9÷12.×100
=75
अतः यहां बुद्धि लब्धि 75 है
प्रश्न यदि श्याम की बुद्धि लब्धि 75 है और मानसिक आयु 9 वर्ष है तो श्याम की वास्तविक आयु क्या होगी
बुद्धि लब्धि = मानसिकआयु ÷ वास्तविक आयु ×100
75 =9 ÷ c.a×100
C.A =9×100÷75
C.A = 12 ANSWER
बुद्धि लब्धि परीक्षण
बुद्धि लब्धि परीक्षण की सर्वप्रथम शुरुआत 1879 में विलियम वुंट के द्वारा जर्मनी शहर में की गई इनके द्वारा सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना जर्मनी के लिप जिंग शहर में की गई परंतु वास्तविक रुप से बुद्धि परीक्षण की शुरुआत 1880 में
अल्फ्रेड बिन्ने (पेरिस फ्रांस) के द्वारा की गई सन 1885 में अल्फ्रेड बिन्ने ने पेरिस नगर पालिका द्वारा संचालित विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों पर अपने परीक्षण करना शुरू किए परीक्षण के आधार पर 1905 में अल्फ्रेड बिने ने अपने सहयोगी साइमन के साथ मिलकर पहला बुद्धि परीक्षण किया जिसे साइमन बिने मापनी कहा गया इसी कारण बिंने को बुद्धि परिक्षण का जनक कहते है बिने साइमन परीक्षण में आरंभ में प्रश्नों की संख्या 30 थी तथा बाद में 59 निर्धारित की गई
- अमेरिका में इसे प्रचारित करने का श्रेय गोहार्ड को किया जाता है
- गौहार्ड ने साइमन बिंने मापनी को फ्रेंच भाषा से अंग्रेजी में अनुवादित किया
- प्रसिद्ध अमेरिका विद्वान टरमन ने साइमन बीन्ने मापनी में परिवर्तन करते हुए इसका नाम न्यू स्टैंडर्ड रिवीजन रखा और प्रश्नों की संख्या 90 निर्धारित की गई 1908 में
- सन 1911 मैं टर्मन ने अपने सहयोगी मैरिल के साथ मिलकर न्यू स्टैंडर्ड रिवीजन में पुणे संशोधन किया
- भारत में 1922 में सी एच राईस ने प्रथम भारतीय बुद्धि परिक्षण बनाया
- संसोधन के बाद इसका नाम न्यू स्टर्न फोर्ड रिवीजन रख दिया और प्रश्नों के साथ मानसिक आयु मूल्य का प्रत्यय जोड़ दिया
3 से 13 | 1 प्रश्न | 3 महीने |
14 वर्ष | 1 प्रश्न | 4 महीने |
14 + | 1 प्रश्न | 6 महीने |
- सन 1916 मैं यहां बुद्धि परीक्षण टर्मन मापनी के नाम से प्रकाशित हुआ था
- इंग्लैंड के प्रसिद्ध विद्वान सिरिल बर्ट ने इंग्लैंड के बालकों की क्षमता अनुसार साइमन बिंने मापनी में परिवर्तन किया और प्रश्नों की संख्या 65 निर्धारित की
बुद्धि परीक्षण का वर्गीकरण
बुद्धि परीक्षण दो प्रकार के होते हैं
1 व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | 2 सामूहिक बुद्धि परीक्षण | सामूहिक बुद्धि परीक्षण |
शाब्दिक बुद्धि परीक्षण/भाषात्मक | व्यक्तिगत अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण | सामूहिक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण | सामूहिक अशाब्दिक बुद्धि परिक्षण |
1 साइमन बिंने परिक्षण | चित्रांकन | आर्मी एल्फा परीक्षण | आर्मी बीटा परिक्षण |
2 तर्क शक्ति परिक्षण | चित्र पूर्ति | सेना सामान्य वर्गीकरण | निष्पत्ति परिक्षण |
3 टरमन मेरिल मापनी | भूल भुलेया ~ पोर्टयस | यमजेक परिक्षण |
- सर्वप्रथम व्यक्तिगत शाब्दिक बुद्धि परीक्षण बनाए गए थे
- व्यक्तिगत शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के निर्माण का श्रेय फ़्रांस के मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बनने को दिया जाता है सामूहिक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण सर्वप्रथम टरमन द्वारा किया गया था
- भारत में शाब्दिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण उदय शंकर के द्वारा किया गया
- सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण 1916 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका में किया गया
- सामूहिक शाब्दिक व अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण 1911 में डॉक्टर हिली के द्वारा किया गया
- भारत में सबसे पहले बुद्धि परीक्षण का प्रयोग 1922 में सी एच राईस के द्वारा किया गया
- डॉक्. सी एच राईस ने हिंदुस्तानी बिने कार्यात्मक बुद्धि परीक्षण के नाम से बुद्धि परीक्षण बनाया जो 5 से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए निर्मित किया गया
- शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के अंतर्गत बोलकर,लिखकर के शब्दों का प्रयोग किया जाता है ऐसा बुद्धि परीक्षण के अंतर्गत शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता
- बिने परीक्षण 1905 में कुल 30 प्रश्न थे
- बिने साइमन परीक्षा 1908 में कुल प्रश्नों की संख्या 49
- बिने साइमन स्केल 1911 में 3 से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रश्नों की संख्या 59
- स्टैनफोर्ड बिने साइमन परीक्षण 1916 में किया गया कुल 90 पद थे
- नोट यह परीक्षण 2 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए था
- क बुद्धि परीक्षण गूंगे बहरे अंधे विविध अनपढ़ सैनिकों के कार्य के लिए उपयोगी है
- भारत में सी एच का इसके अलावा पंडित लज्जा शंकर, डॉक्टर सोहनलाल, एस एस जलोटा व भाटिया द्वारा बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया गया
- अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण को क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण भी कहा जाता है
- बैचलर वैल्यू टेस्ट 1944
- बच्चे 5 से 15 वर्ष
- प्रोढ़ 16 से 60 वर्ष तक के व्यक्ति
- बर्ट तर्क शक्ति परिक्षण
- मंद बुद्धि बालको के लिए
- 7 से 14 वर्ष तक के लिए
व्यक्तिगत शाब्दिक बुद्धि परीक्षण
- चित्रपूर्ति परीक्षण
- पोर्टीयस भूल भुलैया परीक्षण 3 से 14 वर्ष
- आकार फलक परीक्षण सेंगुइन
- भाटिया क्रियात्मक परीक्षण
सामूहिक शाब्दिक परीक्षण
- आर्मी एल्फा परीक्षण (हरमन + शिष्य आर्थर)
- नो सेना सामान्य आर्मी परीक्षण
- सैनिक सामान्य वर्गीकरण परीक्षण
- टरमन मानसिक योग्यता परीक्षण
सामूहिक अशाब्दिक परीक्षण
- आर्मी बीटा परीक्षण
- शिकागो अशाब्दिक परीक्षण
- पिंगन अशाब्दिक परीक्षण
- कैटल का कल्चर फ्रिटेस्ट
NOTE
- वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित परीक्षण सामूहिक परीक्षण है
- 16 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों की बुद्धि मापन के सम्स्य वास्तविक आयु 16 वर्ष ही मानी जाती है
- गेरीसन के अनुसार लम्बात्म्क विधि का प्रयोग एक ही बालक के अध्ययन में किया जाता है
- बेसल वर्ष जिस आयु वर्ष के प्रश्नों को बालक हल कर देता है उसे बेसल वर्ष कहते है
बुद्धि की परिभाषा
- टरमन के अनुसार ⇒ बुद्धि अमूर्त चिंतन की योग्यता है
- बकिंघम के अनुसार⇒ बुद्धि सीखने की योग्यता है
- अल्फ्रेड बिंने के अनुसार⇒ बुद्धि में चार तत्व नहीं निहित है ज्ञान निर्देशन आलोचना आविष्कार
- डियरबर्न के अनुसार⇒ बुद्धि सीखने में असफलताओं से सबक लेने की योग्यता है
- फ्रांसिस गाल्टन के अनुसार⇒ बुद्धि,सोच,विचार,तर्क व निर्णय लेने की योग्यता है
संवेगात्मक बुद्धि
इमोशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के इमोवियर शब्द से हुई है जिसका अर्थ है उत्तेजित करना या हिला देना संवेग दो प्रकार के होते हैं सुखद संवेग और दुखद संवेग
संवेगात्मक बुद्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1990 में अमेरिकी प्रोफेसर जॉन मेयर व पहले हो ने किया
परंतु वर्तमान संवेगात्मक बुद्धि कि कहीं तो इसका श्रेय अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डैनियल गोलमैन को जाता है
डैनियल गोलमैन 1995 में अपनी पुस्तक संवेगात्मक बुद्धि,बुद्धि लब्धि से अधिक महत्वपूर्ण क्यों मैं इसका वर्णन किया है
संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य
मनुष्य अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को समझने,समझाने के लिए संवेग के माध्यम से ही करता है
इसमें कितनी संवेगात्मक बुद्धि है इस स्तर को मापने के लिए विशेष इकाई का प्रयोग करते हैं जिसे संवेगात्मक बुद्धि कहते हैं
संवेगात्मक बुद्धि के उपयोग
- जीवन को सफल बनाने में सहायक है
- कामकाज में निपुणता लाने में सहायक है
- वांछित सफलता प्राप्त करने में सहायक
प्रभावित करने वाले कारक
- वंशानुक्रम
- वातावरण
- पौष्टिक आहार
- लिंग भेद
- अंतः स्रावी ग्रंथियां
- गंभीर चोट में रोग