Comparison in SI or GPF Deduction | SI व GPF कटौती में तुलना दोस्तों इस आर्टिकल में हम SI व GPF कटौती की तुलनात्मक जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। यह बहुत ही व्यावहारिक और जरूरी जानकारी है जिसके बारे में बहुत से कर्मचारी जानना चाहते हैं, कि वह जीपीएफ कटौती में बढ़ोतरी करवाए या फिर एसआई कटौती में बढ़ोतरी करवाना अज्यादा बेहतर है।
GPF का पूरा नाम General Provident Fund है। जीपीएफ पर एक निश्चित ब्याज दर गारंटीड रिटर्न के रूप में उपलब्ध होती है। जिसमें सरकार समय-समय पर अपना रिव्यू प्रदान करती रहती है और इस ब्याज दर को रिवाइज करती है।
Comparison in SI or GPF Deduction
क्या आप भी यह जानना चाहते हैं कि आपके लिए SI और जीपीएफ कटौती में कौन सा सर्वाधिक महत्व उपयोगी साबित होने वाला है। इस आर्टिकल में हम संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। जीपीएफ का पूरा रूप सामान्य भविष्य निधि है। यह एक बचत योजना है। जो भारत में सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करती है। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा राज्य के कर्मचारियों के कल्याण में 19 सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु राज्य बीमा पॉलिसी के तहत अनिवार्य बीमा किया जाता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक कर्मचारी के वेतन से मूल वेतन को आधार मानकर प्रीमियम की प्रतिमा कटौती की जाती है। जहां हम दोनों ही दरों के बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं।
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SI Deduction
राज्य सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों के कल्याणार्थ व सामाजिक सुरक्षा हेतु चलाई जा रही योजनाओं में राज्य बीमा पॉलिसी के तहत राज्य कर्मचारियों का अनिवार्य बीमा किया जाता है। जिसमें प्रत्येक कर्मचारी के वेतन से मूल वेतन के आधार पर प्रीमीयम की प्रतिमाह कटौती होती है। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर माह मार्च 2020 से राज्य बीमा प्रीमियम में बढ़ोत्तरी की है। इसलिये राज्य बीमा की न्यनतम कटोती तो नियमानुसार होती है। परन्तु राज्य बीमा नियम 1998 के मुताबिक कोई भी कर्मचारी अपनी वेतन शृंखला से दो स्लेब आगे के प्रिमियम की कटौती करवा सकता है। यह राज्य बीमा योजना वर्तमान में बीमा क्षेत्र की देश की सर्वश्रेष्ठ योजनाओं में से एक है। न्यूनतम एवं अधिकतम कटौती की तालिका निम्नानुसार हैं-
SI कटोती विवरण |
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क्रम संख्या | पे मेट्रिक लेवल अनुसार वेतन | SI मासिक प्रीमियम | आगे बढ़ा सकते है | अन्य विवरण | |
प्रथम स्टेप | द्वितीय स्टेप | ||||
1 | UP TO 22000 | 800/- ₹ | 1200/- ₹ | 2200/- ₹ | आगामी 1 अप्रेल को 55 वर्ष से अधिक आयु के कार्मिक अपनी SI कटोती में वृद्धि नही करवा सकते |
2 | UP TO 22000 -28500 | 1200/- ₹ | 2200/- ₹ | 3000/- ₹ | |
3 | 28501- 46500 | 2200/- ₹ | 3000/- ₹ | 5000/- ₹ | |
4 | 46501-72000 | 3000/- ₹ | 5000/- ₹ | 7000/- ₹ | |
5 | Above 72000 | 5000/- ₹ | 7000/- ₹ | – | |
6 | Maximam | 7000/- ₹ | – | – | |
Note 👉 कटौती बढ़ाने के लिए कार्मिक को अपनी एसएसओ आईडी से Further Contract ऑनलाइन करना होगा |
How To Work GPF जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) कैसे काम करता है?
क्या आप भी यह जानना चाहते हैं की जीपीएफ अर्थात जनरल प्रोविडेंट फंड / General Provident Fund कैसे कार्य करता है तो इसकी संपूर्ण जानकारी हां बता रहे हैं GPF निम्नलिखित तरीकों से काम करता है-
- कर्मचारियों को सबसे पहले अपने नियोक्ता के साथ में जीपीएफ अकाउंट खोलना होता है यह मुख्यतः सर्विस में शामिल होते समय शुरू होता है।
- इसके अंतर्गत कर्मचारियों की सैलरी का एक निश्चित प्रतिशत मासिक के रूप में काटा जाता है जिसे अपने जीपीएफ अकाउंट में डिपॉजिट किया जाता है।
- GPF अकाउंट में डिपॉजिट की गई राशि, आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज़ अर्जित करती है।
- कर्मचारी कुछ शर्तों के अधीन अपने GPF अकाउंट पर भी लोन ले सकते हैं।
- यदि कर्मचारी किसी अन्य सरकारी विभाग में ट्रांसफर करते हैं या अपनी नौकरी छोड़ते हैं तो वे अपना GPF बैलेंस निकाल सकते हैं या उसे अपने नए नियोक्ता को ट्रांसफर कर सकते हैं।
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सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में निवेश के लाभ
सामान्य भविष्य निधि जीपीएफ में निवेश करने के लाभ यहां पर दिए जा रहे हैं-
- गारंटीड रिटर्न :- जीपीएफ पर एक निश्चित ब्याज दर गारंटीड रिटर्न के रूप में उपलब्ध होती है। जिसमें सरकार समय-समय पर अपना रिव्यू प्रदान करती रहती है और इस ब्याज दर को रिवाइज करती है।
- टैक्स लाभ :- जीपीएफ में योगदान करने वाले कार्मिकों का इनकम टैक्स 80c के अंतर्गत टैक्स कटौती के लिए पात्रता रखता है।
- नो रिस्क :- जीपीएफ में कटौती करवाना इन्वेस्टमेंट का एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि इसमें रिटर्न के रूप में एक निश्चित दर प्रदान होती है।
- लोन सुविधा :- यदि कर्मचारियों को घर निर्माण, मेडिकल या शिक्षा के लिए लोन की आवश्यकता हो तो वह जीपीएफ से लोन सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकता है।
- सुरक्षित रिटायरमेंट :- जीपीएफ में इन्वेस्टमेंट होने के कारण रिटायरमेंट के बाद में जीपीएफ फंड सरकारी कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रिटायरमेंट सुनिश्चित करता है।
GPF या SI में से किसमे अधिक कटौती करवाई जावे ?
1. राज्य बीमा में निर्धारित Slab से 2-Step आगे कटौती जरुर करनी चाहिए ताकि बीमाधन अधिक हो। एक तो इसमें अन्य बीमा योजना के मुकाबले बोनस की दर अधिक होने से यह योजना अधिक फायदेमंद है। साथ ही वेतन से कटोती होने से किश्त की चूक नहीं होती। आमतौर पर अन्य बीमा कंपनियों से बीमा होने पर बड़ी संख्या में किश्त नियमित जमा नहीं होने से Policy लैप्स हो जाती है और आर्थिक घाटा होता है। इसके अलावा आवश्यकता होने पर ऋण की राशि भी तुलनात्मक रूप से अधिक होती है और आसानी से मिल जाती है। Maturity पर अच्छी खासी रकम मिल जाती है।
यहाँ एक बात और विचारणीय है चूँकि कार्मिक के असामयिक निधन की स्थिति में सभी परिलाभ के बाद भी रिक्तता की स्थिति रहती है इसलिए अपने परिवार को वास्तविक पर्याप्त आर्थिक संबल प्रदान करने हेतु परिवार के कमाऊ सदस्य को Term Plan Insurance अवश्य लेना चाहिए जो की बाज़ार में अनेक बीमा कंपनियों के उपलब्ध है। मामूली किश्त पर एक बड़ा आर्थिक संरक्षण आप परिवार को प्रदान कर सकते है। जीवन बीमा की वास्तविक अवधारणा यही है।
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2. GPF योजना में भी निर्धारित दर से कटोती की जाती है, आज की स्थिति में बाज़ार में उपलब्ध Bank, Post Office और अन्य निजी योजनाओं के मुकाबले GPF की प्रतिफल दर उच्च है तथा पूरी तरह सुरक्षित है. अतः राज्य बीमा की अधिक कटोती और अन्य निजी आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद यदि विनियोग की गुंजाईश है तो निश्चित रूप से GPF में अधिक कटोती कराना सबसे सहज, लाभदायक और सुरक्षित विकल्प है.
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